परोपकार paropkar par 5 lines in sanskrit
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परोपकार से संबंधित कुछ संस्कृत श्लोक —
1.पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः परोपकाराय सतां विभृतयः ॥
अर्थ:- नदियाँ अपना पानी खुद नहीं पीती, वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते,
बादल ( स्वयं के सिंचित जल से उगाया हुआ) अनाज खुद नहीं खाते ।
सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है ।
2. अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | परोपकारः पुण्याय पापाय
परपीडनम् ||
अर्थ:- अठारह पुराणों के सार के रूप में महर्षि व्यास ने सिर्फ दो बातें कहीं
!! दूसरो का उपकार करने से पुण्य होता है और दुःख देने से पाप।
3. परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः ।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थ मिदं शरीरम् ॥
अर्थ:- परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही
बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं, (अर्थात्) यह शरीर भी
परोपकार के लिए ही है ।
4. आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः ।
परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति ॥
अर्थ:- इस जीवलोक में स्वयं के लिए कौन नहीं जीता? परंतु, जो परोपकार
के लिए जीता है, वही सही रूप में जीता है अर्थात् जिसका जीवन परोपकार
के लिए है , उसका जीवन ही वास्तव में जीवन है ।
5. भवन्ति नम्रस्तरवः फलोद्रमैः । नवाम्बुभिर्दूरविलम्बिनो घनाः ।
अनुद्धताः सत्पुरुषाः समृद्धिभिः। स्वभाव एवैष परोपकारिणाम् ॥
अर्थ:- वृक्षों पर फल आने से वे झुकते हैं अर्थात् नम्र बनते हैं; पानी में भरे
बादल आकाश सेनीचे आ जाते हैं; अच्छे लोग समृद्धि से नम्र और सहृदय
बने रहते हैं क्योंकि परोपकार करने वालों स्वभाव ही ऐसा होता है।
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