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दोस्तों आज कल हम लोगो को स्कूल मे काफी सरे कम्पीटशन मे हिस्सा लेना होता है फिर वह खेल हो, पढाई हो, कोई क्विज हो, प्रतियोगिता हो हमें उसके लिए तैयारी करनी होती है| आज हम कुछ संस्कृत श्लोक विद्या के बारे मे जानेंगे और उन्का अर्थ जानेंगे |
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्या ददाति विनयं विनयाद्यातिपात्रताम् ।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोतिधनाद्धर्मं ततः सुखम्॥
Meaning:- ज्ञान विनम्रता प्रदान करता है जोबदले में योग्यताप्रदान करता है।उस योग्यता सेव्यक्ति जीविकोपार्जन करता है।वह धन पुण्यका मार्ग प्रशस्तकरता है जोबदले में सुखदेता है।
||SANSKRIT SHLOKAS||
सुखार्थिनःकुतो विद्या विद्यार्थिनःकुतः सुखम् ।
सुखार्थी वा त्यजेत्विद्यांविद्यार्थी वा त्यजेत्सुखम् ॥
Meaning:- जहाँ आरामदायक जीवन कीइच्छा रखने वालोंके लिए ज्ञानहै और जहाँज्ञान प्राप्त करनेकी इच्छा रखनेवालों के लिएविलासिता है। जोलोग आराम चाहतेहैं उन्हें ज्ञानका मार्ग छोड़देना चाहिए औरजो लोग ज्ञानकी खोज मेंहैं उन्हें आरामछोड़ देना चाहिए।
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्याभ्यासस्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां चसंयमः ।
अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरंपरम् ॥
Meaning:- विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय–संयम, अहिंसा और गुरुसेवा – ये परम् कल्याणकारक हैं ।
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोतिधनाद्धर्मं ततः सुखम्॥
Meaning:- विद्या से विनय(नम्रता) आती है, विनय से पात्रता(सजनता) आती हैपात्रता से धनकी प्राप्ति होतीहै, धन सेधर्म और धर्मसे सुख कीप्राप्ति होती है।
||SANSKRIT SHLOKAS||
गुरु शुश्रूषया विद्या पुष्कलेन्धनेन वा।
अथ वा विद्ययाविद्या चतुर्थो न उपलभ्यते॥
Meaning:- विद्या गुरु कीसेवा से, पर्याप्तधन देने सेअथवा विद्या केआदान–प्रदान सेप्राप्त होती है।इसके अतिरिक्त विद्याप्राप्त करने काचौथा तरीका नहींहै ।
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्या वितर्को विज्ञानं स्मृतिःतत्परता क्रिया ।
यस्यैते षड्गुणास्तस्य नासाध्यमतिवर्तते ॥
Meaning:- विद्या, तर्कशक्ति, विज्ञान, स्मृतिशक्ति, तत्परता, और कार्यशीलता, ये छे जिसकेपास हैं, उसकेलिए कुछ भीअसाध्य नहि ।
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्याभ्यासस्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां चसंयमः ।
अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरंपरम् ॥
Meaning:- विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय–संयम, अहिंसा औरगुरुसेवा – ये परम्कल्याणकारक हैं ।
||SANSKRIT SHLOKAS||
पुस्तकस्थातु या विद्या,परहस्तगतं च धनम्|
कार्यकाले समुत्तपन्ने न साविद्या न तद्धनम् ||
Meaning:- पुस्तक में रखीविद्या तथा दूसरेके हाथ मेंगया धनये दोनोंही ज़रूरत केसमय हमारे किसीभी काम नहींआया करते |
||SANSKRIT SHLOKAS||
विद्या मित्रं प्रवासेषु,भार्यामित्रं गृहेषु च |
व्याधितस्यौषधंमित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्यच ||
Meaning:- ज्ञान यात्रा में,पत्नी घर में, औषध रोगी कातथा धर्म मृतकका (सबसे बड़ा) मित्र होता है|
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